Wednesday, February 25, 2009

aabalaapaa ko_ii is dasht me.n aayaa hogaa



आबलापा कोई इस दस्त में आया होगा
वरना आंधी में दिया किस ने जलाया होगा

ज़र्रे ज़र्रे पे जड़े होंगे कुंवारे सजदे
एक एक बुत को खुदा उस ने बनाया होगा

प्यास जलाते हुए काँटों की बुझाई होगी
रिसते पानी को हाथेली पे सजाया होगा

मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर
अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा

खून के छींटे कहीं पोछ न लें रेह्रों से
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा

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